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२४७५ ]
नवमभवि कण्हस्स महुरागमणु
[२४७२]
इय मुणेविणु कण्हु पभणेइ जइ एवं ता किह णु भाय तम्मि गोउलि वसिज्जइ। तयणंतरु मुसलिण वि वच्छ तुज्झ एहु जि कहिज्जइ ॥ इय भणिरिण अइमुत्त-रिसि- कह अक्खिय पुव्वुत्त । ता जा कंसिण हणिय तुह सरिस छ देवइ-पुत्त ॥
[२४७३]
इय सुणंतु वि वियड-भिउडिल्लु रोसारुण-नयण-दलु भणइ कण्हु - मह जेण अवल व । छ-स्सोयर विद्दविय सो कर्हि वि दक्खेसु बंधव ॥ जइ हउं अज्जु न हणहुं रिउ निय-बंधव-खय-कालु । वाल-वुड्ढ-गुरु-धायगहं गइ ता लहहुँ अयालु ॥
[२४७४]
तयणु वियसिय-वयण-हरिणंकु गाढयरु आलिंगिउण भणइ मुसलि – इमिणेव कज्जिण । आकुट्ट जसोय मई इहरहा उ कह निन्निमित्तिण ॥ तुहुँ जाणहि पुच्छहि य मई पुव्व-उत्तु वुत्तंतु । संपइ पुणु तई एरिसिण मणिण हउ जि सो सत्तु ॥
[२४७५]
इय करेविणु मुसलि-पच्चक्खु गिरि-गरुय-पइन्न हरि गयउ महुर-नयरीए अइरिण । ता अवगय-वइयरिण हरिहि रक्ख कय वहुय सउरिण ॥ समुदविजय-पमुहा य तहिं सद्दाविय निय-भाय । अक्कूराइ वि सउरि-सुय समुदाइण तहिं आय ॥ २४७३. ९. क. लहुहु.
२४७४. ३. क. भण.
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