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________________ ५५७ २४७५ ] नवमभवि कण्हस्स महुरागमणु [२४७२] इय मुणेविणु कण्हु पभणेइ जइ एवं ता किह णु भाय तम्मि गोउलि वसिज्जइ। तयणंतरु मुसलिण वि वच्छ तुज्झ एहु जि कहिज्जइ ॥ इय भणिरिण अइमुत्त-रिसि- कह अक्खिय पुव्वुत्त । ता जा कंसिण हणिय तुह सरिस छ देवइ-पुत्त ॥ [२४७३] इय सुणंतु वि वियड-भिउडिल्लु रोसारुण-नयण-दलु भणइ कण्हु - मह जेण अवल व । छ-स्सोयर विद्दविय सो कर्हि वि दक्खेसु बंधव ॥ जइ हउं अज्जु न हणहुं रिउ निय-बंधव-खय-कालु । वाल-वुड्ढ-गुरु-धायगहं गइ ता लहहुँ अयालु ॥ [२४७४] तयणु वियसिय-वयण-हरिणंकु गाढयरु आलिंगिउण भणइ मुसलि – इमिणेव कज्जिण । आकुट्ट जसोय मई इहरहा उ कह निन्निमित्तिण ॥ तुहुँ जाणहि पुच्छहि य मई पुव्व-उत्तु वुत्तंतु । संपइ पुणु तई एरिसिण मणिण हउ जि सो सत्तु ॥ [२४७५] इय करेविणु मुसलि-पच्चक्खु गिरि-गरुय-पइन्न हरि गयउ महुर-नयरीए अइरिण । ता अवगय-वइयरिण हरिहि रक्ख कय वहुय सउरिण ॥ समुदविजय-पमुहा य तहिं सद्दाविय निय-भाय । अक्कूराइ वि सउरि-सुय समुदाइण तहिं आय ॥ २४७३. ९. क. लहुहु. २४७४. ३. क. भण. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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