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________________ [ २४६० नेमिनाहचरिउ [२४६०] महुर-नयरिहि निय-निउत्तेहिं घोसावइ चाव-महु हट्ट-सोह कारवइ जत्तिण । संचावइ मंच पुर- पहिहि दाणु दावइ स-वित्तिण ॥ मल्ल-जुज्झु होइहइ इह इय ववइसिवि महल्ल । सदावइ वलवंत महि- वलइ जि निवसहिं मल्ल ॥ [२४६१] एहु वइयरु गोव-वयणेण निसुणेविणु केसविण भणिउ पुरउ रोहिणिहि तणयह । जह - बंधव चलि-न जिह गंतु तत्थ तसु कंस-रायह ॥ चावूसवु अवलोइउण स-हरिमु तेण वि दिन्न । वित्थारहुं निय-जस-पसरु परिणेविणु सा कन्न ॥ [२४६२] अह - सहोयर एत्थ किमजुत्तु पूरेसु स-कोउहलु चलसु गंतु जिह तहिं खणद्धिण । पेक्खिज्जहिं विविह-निव- निवह पत्त निय-निय-समिद्धिण ॥ इय वियरेविणु केसवह पडिउत्तरु वलभदु । नाइसन्न-ठाण-ट्ठियह कुणइ जसोयह सदु ॥ [२४६३] तयणु पभणइ – ण्हाण सामग्गि अम्हाण पउग्ग तुहं कुणसु तुरिउ नरराय-विहविण इयरी वि खलिर-प्पडिर- कर त करइ जा ताव मुसलिण । इहु अवसरु इय चिंतिउण कय-कित्तिम-कोवेण । भणिउ - पावि किं लज्जिहिसि नियय-दासि-भावेण ॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002610
Book TitleNeminahacariya Part 2
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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