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नवमभवि कंसकिउ चावमहु
[२४५६]
केण पेसिउ तत्थ तुहं हंत वाहरिउ व इत्थ किण धणु व केण कज्जिण चडाविउ । ता मरिहसि नूण तुहं कंस-करिण मह भवणि आविउ ॥ धणुहारोवण-छलिण निय-रिउ-जसु अछइ नियंतु । इय हणिहइ अ-वियप्पु तई सुणिउण धणु-वुत्तंतु ॥
[२४५७]
तयणु कपिर-अंगुवंगिल्लु सो जंपइ - जणय मह नूण नत्थि सामत्थु एरिसु । आरोविवि धणु-रयणु हरिण लद्ध इह कित्ति-पगरिसु ॥ ता स-विसेस-ससंक-मणु सउरि भणइ तूरंतु । गोउलि कण्हु विमुत्तु तुहुँ अछि सोरियपुरि गंतु ॥
[२४५८]
करिवि अ-वितहु इहु अणाहिडि नीसेसु वि अइरिण वि गमइ दियह जणओवएसिण । एत्थंतरि पसरियउ जण-पवाउ पुहइहिं विसेसिण ॥ जह – सोहग्गि-सिरोमणिण कण्हिण नर-रयणेण । आरोविउ लीलई धणुह- रयणु नंद-तणएण ॥
[२४५९]
अह कहं नणु नंद-तणएण गोउलिय-नराहमिण गरुय-महिम-देवय-अहिद्विउ । आरोविउ धणु रयणु अह व मुणिसु हउं तसु वि चेहिउ ॥ इय चिंतंतउ कंस-निवु कोव-कुडिल रत्तच्छु । हरिहि विघायण-हेउ गुरु- अ-विवेइण पडिहच्छु ॥
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