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२४०५ ।
नवमभवि नेमिण्हवणु
[२३९७] (२३)अह सयल सुरनाह उन्भेवि निय-वाह । नच्चंति सु-पहिह निय-मणिण संतुह ॥
२३९८] रणझणिर-मणि-वलय थरहरिय-महि-वलय । गुरु-मुक्क-पय-भार तुटूंत-वर-हार ॥
[२३९९] जिण-चरिय सु-समेय गायंत-कल-गेय । अच्छरहं संघाय सुह-वयण-मण-काय ॥
[२४००] इंदाण मज्झम्मि नच्चंत मेरुम्मि । पुण कुणहिं कल-गेउ जिण-गुणिहि अ-पमेउ ॥
[२४०१] वहु-जणिय-आणंदु नच्चत-सुर-विंदु । वरिसंति रयणेहिं सुर के-वि *कणएहिं ॥
[२४०२] गंधडूढ-नीरेहिं वर-सुरहि-कुसुमेहिं । उक्किट-नाएहिं पडिसह-सारेहि ॥
[२४०३ सुर केइ वग्गंति घण जेम्ब गज्जति । हय जेंव हिंसति हरि जिम्ब निनाएंति ॥
[२४०४] वंदि व्व उद्दामु ति पदंति अभिरामु । वड्ढंत-अणुराउxxxx ॥
[२४०५] सिरि-नेमि-+जिणु थुणइ सुर-लोउ सहु सुणइ ।
* The portion from कणएहिं (2401. 4.) to निवि (2409.3.) is based on ms. ख. only.
२४०५. १. जिण.
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