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२३८८]
नवमभवि नेमिण्हवणु
[२३८१] के-वि साहाविया के-वि वेउव्विया अब्भहिय-अट्ठ-सहसाई सव्वे ठिया । पवर-भिंगार-आयंस-गण-संजुया चंदणुद्दाम-कुंभा य स-कडच्छुया ॥
[२३८२] पुणु[xxxx]चंगेरि-पडलाइणो ण्हवण-कालम्मि उक्खिवहिं सुर-राइणो । तयणु हरियंदणुप्पंक-चच्चिक्किया सुरहि-सिय-कुसुम-मालाहिं समलंकिया॥
[२३८३] अच्चुइंदेण सव्वायरं ढालिया सहहिं वर-कलस खलहल-रवुम्मालिया ।
[२३८४] इय विहियइ मज्जणि रंजिय-सज्जणि अच्चुय-इंदिण सुर-महिउ । सिरि-नेमि-जिणेसरु मुणि-अग्गेसरु रेहइ तहिं भुवणभहिउ ॥
[२३८५] (२१)एएण विहाणिण तो ण्हवेइ पाणय-कप्पिंदु वि कलस लेइ । तो बहावइ जिणु सहसार-नाहु पक्खित्त-विमल-नीर-प्पवाहु ॥
[२३८६] तो सत्तम-कप्प-निवासि सक्कु जिणु ण्हवइ छिण्ण-संसार-चक्कु । अह लंतय-कप्पह सामि हिट्छु अहिसिंचइ जिणु गुण-गण-गरिछु ॥
[२३८७] तो वंभ-लोय-+पहु जिण-वरिंदु व्हावेइ पणय-सुर-नरवरिंदु । माहिंदु तय[णु] +सणयंकुमारु ईसाणु ण्हवइ तो सुरहं सारु ।।
[२३८८] अह चमर-पमुह भवणवइ कमिण पहावंति जिणिंदु विमुक्क तमिण । . पुणु ण्हवहिं पिसायाहिवइ-पमुह वंतर-गण-नायग सुगइ-समुह ॥
२३८१. ५. मग्गिसरु. २३८५. २. पाणाय. २३८७. १. पडु; ३. सयणकुमारु.
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