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नेमिनाrafts
[३३०]
इय सुणेत्तु सुमित- नरनाहु
पसरंत मच्छर भरु वि लहु-भइणिहि विमल-गुणचिट्ठइ दुह-संतत मणु
त्रिय-सत्तु महि- गोयरत्तिण । रयण-निहिहि अइ-वल्लहत्तिण ॥ तल्लोवेल्लि कुणंतु ।
उल्लाविरु विपुरडिउ वि स-परिअणु वि अ- मुणंतु ॥
[३३१]
एहु वरु सुणिवि निय - खयर
यहिं सिरि- चित्तगर
फुरिय- दप्पु चउरंग- सेन्निण 1 घुट्ट - कित्ति मागहिय-विंदि ॥
आऊरिय-गयण-यलु सायरु पण मिय-निय जणणि- जणय-चलण- अरविंदु | उवरि खुहिय-खयरिंदु ||
चलिउ अणंगस्सीह-सुय
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[३३२]
नियय- तेरण भरिय-वंभंड
पसरंत-रण- तूर- रवु परिचलिय- वहु-वल-कइण पत्तउ कमिण सुकूड - गिरिसविह-द्विय-रिउ-सुद्धि-विहि- कहय - खयर-वयणेण ॥
संख -सद्द - पूरिय- दियंतरु | कलयलेण फुरंत अंवरु ॥ सिहर उवरि गयणेण ।
[३३३] बहुवलु चित्तगइ एंतु
सुणि
मणि खुद्ध व कमलु लहु पर- कामिणि - रमण-मणअवरोप्पर-मच्छर-भरिय मम्मई विंधहिंदु-वयणिहिं महि-यल जेम्व हलाई ।
३३३. ७. क. हियई ; ८. क. विधइ.
निय-वलेण सह चलिउ सम्मुहु । जणिय- पाव - पब्भार- हय-सुहु ॥ हिययई दो विवलाई |
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