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३२९j
तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु
[३२६]
तयणु भत्तिण कुणइ जिण-पूय पडिलाहइ मुणि-वसह विहरमाण जिण-नाह वंदइ । सम्माणइ सरिस-गुण सड्ढ-कुलई गुरुयणहिणंदइ । आराहइ सम्मत्त-धुर- वारस-वयई निरुत्तु । भावइ तत्त जिय-प्पमुह सिव-संगम-गय-चित्तु ॥
[३२७]
निवु सुमित्तु वि सयल धरणि-यलवित्थारिय-कित्ति-भरु गुरु-विइण्ण-संमत्त-भाविउ । . नयरेसु य कित्तिएसु सो वि पउमु सामित्ति ठाविउ ॥ साहम्मिय-गुरु-जिणवरहं कम-संपन्नुदयाहं । कुणइ भत्ति जिणवर-विहिण कम-वढिर-मुहयाहं ॥ .
[३२८] पउम-कुमरु वि दुट्ट-सब्भावु परिचत्त-विवेय-निहि तेत्तिएहिं नयरिहिं अतुहउ । पडिवक्खिय-नरवरहं मिलिउ अह सु तेहिं पि मुट्ठउ ॥ चिहइ कह कहमवि दुहिहिं निय-उयरु वि पूरेतु । गुरुयण-मित्त-कलत्त-सुय- सयणिहिं सोइज्जंतु ॥
[३२९] अन्न-वासरि सिरि-सुमित्तस्सु नरनाहह लहु भइणि नियय-रूव-जिय-तियस-कामिणि । सुग्गीव-नरिंद-धुय सिरि-कलिंग-विसय पहु-सामिणि ॥ हरिय अणंगस्सीह-खयरिंद-सुइण कमलेण। तरुणी-रयणह रयणवइ- नामह सोयरएण ॥ ३२७. २. क. भर. ७. Marginally supplied in क. but illegible. ३२८. ४. क. नरवरह.
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