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नेमिनाहचरिउ
[३१४]
अह तहाविह-पाव-मरणेण मरिऊण सा स-कय-हय- नरय-कुहरि घोरम्मि पत्तिय । ता वयण-आगोयरिहिं दुह-सएहि तहिं निरु निकंतिय ॥ चिठइ सुइरुव्वष्टिय वि चउगइ-भवि विरसाई । वह-छेय-प्पमुहई दुहई सहिहि नरय-सरिसाइं ॥
[३१५]
ता पकंपिर अंगुवंगेण सुग्गीव-नराहिविण भणिउ - अहह कह तीए एह कह । मह तणयह अवगरिवि हूय जम्म सय-सहस दुस्सह ॥ केवलि तयणु समुल्लवइ नत्थि दोसु एयस्सु । एहु सामंतहं दोसु दुई सचिवस्सु य एगस्सु ॥
[३१६]
तयणु तक्खणि खुहिउ खोणिंदु सचिविंद ठक्कुर डरिय कुमर सुहड दह दिहि जुयाविय । सामंत असेस दढ- माण-सिहरि-भंजणु कराविय ॥ अवलोयहि सवियक्क-मण अन्नोन्नई वयणाई। तह केण-इ सव्वस्स-जुय नं हरियई भवणाई ॥
[३१७]
ता मुणिदिण भणिउ - नरनाह सचिविंद सामंत इह अंतरंग वहिरंग इय दुह । वहिरंगु नरिंदु तुहुं सचिव सेटि सामंत एहि तुह ।। अंतरंगु मोह-निवु जय- सीस-पडिच्छिय-आणु । तस्सु सचिवु दढ-माण-धणु अत्थि मिच्छ-अभिहाणु ॥ ३१३. १. क. नाहरवि. ३. क. पुरिया. ३१४. ५. निकितिय. ३१५. ४. क. अवगिरिव.
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