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________________ ७२ ३१३] तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु [३१०] एत्थ-अंतरि मुणिय-वुत्तंतु सुग्गीवु नराहिवइ पत्तु पुरउ केवलिहि चलणहं । दुदृढय-कम्म-रिउ- हम्ममाण-जय-जंतु-सरणहं ॥ मन्नंतउ अप्पाणु कय- किच्चु मणेण पहिछ । पणमेप्पिणु गुरु-भत्ति-भरु उचियासणि उवविठु ।। [३११] __ भणइ – मुणिवर कहसु पसिऊण सा तारिस दुच्चरिय नीहरेउ कहिं भद्द पत्तिय । ता केवलि कहइ- नर-नाह नियय-दुक्कय-नियंतिय ।। तुह घर मेल्लिवि नीहरिवि नयरंतरि गच्छंत । वत्थाहरण-सणाह-तणु . पहि चोरिहिं संपत्त ॥ [३१२] तयणु हक्किवि हरिय-सव्वस्स अवलोइय-सकय-फल छुह-पिवास-परिसुसिय-वयणिय कर-संपुड-पिहिय-पिहिय व्व दूरिहुय-दइय-सयणिय ॥ वहु-मुल्लिण थी-लोलुयह पल्लीवइहि विइण्ण । स-कय-अभद्दय भद्द अह गरुयर-दुह-संकिण्ण ॥ [३१३] रहु लहे विणु घरह नीहरिवि परिवंचिय पल्लिवइ लोय-दिहि-फुरियावसद्दय । गिरि-मग्गिण नट्ठ दढ- वद्ध-मुट्टि भद्दय अभद्दय ॥ गच्छंती उ चउद्दिसिहिं दविण सविह-पत्तेण। तह सव्वंगु निदड्ढ जह कवलिय पंचत्तेण ॥ ३११. ६. क. नीहरवि. ३१२. ३. क. ख. बुह. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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