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________________ 2 ७८ नेमिनाहचरिङ [३०६] तयणु तक्खणि पत्त- सुर-असुर खयराहिव-नर- सहहं भयवंतिण केवलिण निरुवम सग्ग-पग - सुहपारद्धिय मुणि धम्म- कह मणुयत्तणु दुल्लहउं निरुयत्तण- अक्ख लियसामग्गी अविहिय- सुहहं तामा चिट्ठहु भवि यणहु Jain Education International 2010_05 [३०७] इह हि चउ - गइ - भीम-भव - रण्णि कणय कमल उयरोवविद्विण । भविय - लोय-मण- जणिय- तुट्टिण || रयणावलिहि निहाण । भव- निव्वेय पहाण || तह वि खेत्त-कुल जाइ रूवहं । आउ - बुद्धि- सद्धम्म-भावहं । जीवहं अइ-दुल्लंभ | अविहिय- धम्मारंभ ॥ [३०८] अह मुर्णिदह पुरउ सिर- रइय कर संपुs चित्तग मह वियर को विसिवतणु मुर्णिदिण परिकलिवि समय - विणि वियरिउ पवरु उवलद्ध-चिंतामणि व घर - उग्गय - सुरतरु व हरिस - वियासिय-मुह-कमलु पुणु पुणु पणमइ गुरु-चलण ३०७. ७. दुल्लं रु. विष्णवे - मुणि-नाह पसिउण | सुहउ धम्मु उचियत्तु मुणिउण ॥ चित्तगइहि जोगत्त । सावय धम्मु पवित्तु ॥ [३०९] तयणु पाविय - रज्ज - रिद्धि व्व भवण - अजिर-सु- कामधेणु व । गहिय-सत्तु - चउरंग- सेणु व ॥ सिरि-चित्तगइ-कुमारु । जुयलु तिलोयह सारु ।। For Private & Personal Use Only [३०६ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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