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नेमिनाहचरिङ
[३०६] तयणु तक्खणि पत्त- सुर-असुर
खयराहिव-नर- सहहं भयवंतिण केवलिण निरुवम सग्ग-पग - सुहपारद्धिय मुणि धम्म- कह
मणुयत्तणु दुल्लहउं निरुयत्तण- अक्ख लियसामग्गी अविहिय- सुहहं तामा चिट्ठहु भवि यणहु
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[३०७]
इह हि चउ - गइ - भीम-भव - रण्णि
कणय कमल उयरोवविद्विण । भविय - लोय-मण- जणिय- तुट्टिण || रयणावलिहि निहाण । भव- निव्वेय पहाण ||
तह वि खेत्त-कुल जाइ रूवहं । आउ - बुद्धि- सद्धम्म-भावहं । जीवहं अइ-दुल्लंभ | अविहिय- धम्मारंभ ॥
[३०८]
अह मुर्णिदह पुरउ सिर- रइय
कर संपुs चित्तग
मह वियर को विसिवतणु मुर्णिदिण परिकलिवि समय - विणि वियरिउ पवरु
उवलद्ध-चिंतामणि व
घर - उग्गय - सुरतरु व हरिस - वियासिय-मुह-कमलु पुणु पुणु पणमइ गुरु-चलण ३०७. ७. दुल्लं रु.
विष्णवे - मुणि-नाह पसिउण | सुहउ धम्मु उचियत्तु मुणिउण ॥ चित्तगइहि जोगत्त । सावय धम्मु पवित्तु ॥
[३०९]
तयणु पाविय - रज्ज - रिद्धि व्व
भवण - अजिर-सु- कामधेणु व । गहिय-सत्तु - चउरंग- सेणु व ॥ सिरि-चित्तगइ-कुमारु । जुयलु तिलोयह सारु ।।
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