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३०५ ]
तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु
[३०२] ललियमंदिर- नाम - उज्जाण
मज्झमि परियण-सहिउ कुमर - रयणु संतुङ- माणसु । परिचि जाव खणु ताव तस्सु-जिय- हंस-सारसु ॥ सत्रण भंतरि महुर झुणि असुणिय-पुत्र पविठु । अह चिंतsarराविइ- नंदणु धणिय पहिठु ॥
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[३०३]
अहह किं एहु खुहिय-सरिनाह
निग्घोसु मेह-ज्युणि व गंधव्वहं किन्नरहं
जं न इमेरि कह त्रि झुणि सुणिय-पुव्वु अम्हेहिं । अहवन सरि सरि-हंस - कुल दीसइ हिंडतेहिं ॥
[३०४]
ता सुमित्तिण मुणिय- वइयरिण
परिजंपिउ - नर- रयण अवइण्णउ विविह-मुणिइय वंदिवि तसु पय-कमल अह चित्तगइ-कुमारु गुरु
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वण - गइंद - गलगज्जियं पिव । महु-महुत्थ-संगीययं पित्र ॥
एत्थ अस्थि सिरि-सुजसु केवलि । नित्र-सहिउ सु-विसुद्ध - महियलि || सलहिज्जउ अप्पाणु । भत्ति - विहाण - पहाणु ॥
पवियंभिय- हरिस-भरु सारय-रिउ-रयणियरकुमरु सुमित्तिण कहिय- जिण अह कर-संडु सिरि घरिवि
[३०५]
सह सुमित्तिण तह स- परियरिण
गंतु पुरउ गुरु-चलण - कमलहं । जुह- सरिस - नह- कंति - विमलहं ॥ समय-विहिण पण मेइ । उचियासणि निविसेइ ॥
३०२. ५. तस्सु जियह. ३०५. ९. क. निवसेइ; ख. निवसोइ.
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