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नेमिनाहचरिउ
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विरह-तरुवर पंचमुग्गारु निसुणेविणु कुसुम-भरु लेंति वउल विसएहिं पंचहि । इय विसयासत्त तरु जत्थ तत्थ किं कहउं अन्नहिं ॥ इय एरिसइ वसंत-महि जुव-मण-हरणि पयट्टि । सहिउ सुमित्तिण चित्तगइ पउणि तुरंगम-थहि ॥
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गंध-सिंधुर-कुल-कवोल-यलमय-वारि-धारा-सहस- समियमाण-रय-भर-वसुंधरु । धुव्वंत-धयवरु कणिर- किंकिणीहिं संदणिहि मणहरु ॥ उक्खय-सत्थ असंख-भड- भिउडि-भीय-पडिवक्खु । उज्जाणम्मि पहुत्तु लहु जल-कोलण-कय-लक्खु ॥
[३०.]
तयणु चंपय-नाय-पुन्नायनालियरि-लबली-लयहं नायवल्लि-मुद्दिय-लवंगहं । खज्जूरि-सहयार-गुरु- ताल-साल-पोप्फलि-असोगहं ॥ मालइ-मल्लिय-केयइहिं करुणि-कयलि-एलाहं । कप्पूरागुरु-चंदणहं पाडल-वियइल्लाहं ॥
[३०१] - खणु नियंतउ कुसुम-फल-रिद्धि खणु वार-विलासिणिहिं ललिय-गीय-सुह-रसिण सित्तउ । खणु हरिसिण मग्गणहं कुसुम-कणय-रयणाणि देंतउ ॥ खणु कारेंतउ भारहिय नद्यारंभ-विसेसु । खणु कीलंतउ सह पवर- तरुणिहिं कमल-सरेसु ॥ २९८. ४. क. विसयासन्न. २९९. ४. धयवरु (The last letter illegible.) ख. धयवम. ३००. ५. क. पोफलि.
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