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२९७]
तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु
[२९४]
कणिर-किकिणि-जाल-रव-मुहलस-धराधर-गिरि-विवर- नच्चमाण-पण-तरुणि-मणहरु । निरु कोमल-कंठ-जुव- मिहुण-गेय-झुणि-भुवण-सुहयरु॥ करयल-वियरिय-ताल-रव- मीसिय-चच्चरि-सहु। वज्जिर-पडहा-रव-मिलिय- लोय-हूय-संमदु ॥
[२९५]
पउर-अलि-उल-महुर-झंकारसवणूसुय-निय-नयर- समुह-तुरिय-धावंत-पहियणु । रयणायर-गहिर-सरि तरुण-मिहुण-किज्जंत-मज्जणु ॥ परहुय-कुल-परिओस-कर- मंजरि-पसरिय-कंति । विरहिय-मण उत्ताव-यर सहयार-दुम-पंति ॥
[२९६] जहि सियाई वि कुंद-कुसुमाई संजायइं धूसरइं पिय-विओइ कामिणि-मुहाईव । वियलंति य माणिणिहिं माण-सविह दइयहं दुहाई व ॥ लोद्ध-पियंगुहिं कुसुम-सिरि चत्त चवल असइ व्य ।। सा वि हु अंकोल्लय-विहिय सिरि नव-गहिय-पइ व्य ।
[२९७] नलिणि-कामिणि सिसिर-काउरिसविच्छाइय-तणु-लय वि पत्तलच्छि किय महु-नरिंदिण । कणियार मह-हुम वि विहिय-सोह भर-कुसुम-रिद्धिण ॥ कुरुवय-तरु पुणु घण-थणिउ तरुणिउ आलिंगंति । कामिणि-गंडूसएहिं पुणु केसर स-हरिस होति ॥
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