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नेमिनाहचरिउ [२८२]
अह सयं-कय-मंत-कवएण तक्कालालिहिय-गुरु- मंडलम्मि निव-कुमरु ठाविवि । अविचिंतिय-वल-कलिउ को वि मंतु निय-मणि निवेसिवि ॥ तह कहमवि सो चित्तगइ उवयरेई जह झत्ति। हय-निद्द व उट्टइ कुमरु गय-विस-वेगु तड त्ति ॥ .
[२८३]
अह वियंभिय-हरिसु वसुहिंदु उल्लसिय-ऊसव सचिव फुरिय-हरिस-रोमंच परियण । सु-पहिट्ट अंतेउरि य जाय-गरुय-आणंद सज्जण ॥ किं किं न कुणहिं मंगलिउ पयडिय-जस-पसराहं । परिओसिय-सुहि-सज्जणहं दोण्ह वि तहं कुमराहं ॥
[२८४]
एत्थ-अंतरि नियय-दुच्चरियवज्जाहय भिन्न-मुह- छाय निवइ-लहु-पिय अ-भद्दय । अक्कोसिय-सयल-महि- जणिण सुणिय-वइयरिण भद्दय ॥ अह लायण्णिण सिरिण निय- तणु-कंतिण वि मलाण । वसुहाहिविण अलक्खिय वि लहु नासिउण पलाण ॥
[२८५] अह सुमित्तिण सुणिय-नीसेसवुत्तंतिण वज्जरिउ पुरउ चित्तगइ-खयर कुमरह । जह सु-पुरिस दुहिय हिय- करण दुल्ललिय-हियय-पसरह ॥ किं वण्णउं तुह मंद-मइ मणुय-मेत्तु इग-जीहु । को सक्कइ परिकलिउ वणि असम-परक्कमु सीहु ॥
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