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२७३]
तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु एत्तो य -
[२७०]
जंवु-दीविहिं भरह-वासम्मि नयरम्मि उ चक्कउरे जणिय-सुयण-आणंदु नरवइ । सुग्गीवय-नामु तमु आसि दइय नामेण जसमइ ॥ इयर वि भद्दभिहाण गुणवंत गहिय-सिक्खा य । तेसि तणुब्भव दोणि अणुकमिण भुवणि विक्खाय ॥
[२७१]
तत्थ पढमह पढमु वर-रूवु अक्खोहणुः मदविउ नियडि-रहिउ निम्ममु वियक्खणु । आराहिय-सुहि-सयणु पणय-सरणु सु-पसत्थ-लक्खणु ॥ जिणवर-देवय-गुरुयणहं भत्ति-विहाण-पवित्तु । भुवण-पयासिय-जस-पसरु अभिहाणिण वि सुमित्तु ॥
[२७२]
सुउ कणि?उ भद्द-देवीए पुणु तारिसु गुण-रहिउ विसम-सील-सब्भावु दुम्मुहु । अ-कयण्णुउ अथिर-मइ अवुह-संगु अणहिगय-सिव-मुहु ।। अगहिय-स-जणणि-जणय-मणु अविहिय-सुकय-निहाणु । रहिउ तहाविह-विमल-जस- गुणिहिं पउम-अभिहाणु ॥
[२७३]
अवर-वासरि विहि-निओएण रमणीण चवलत्तणिण भव-दवस्नु दुह-हेंउयत्तिण । अथिरत्तिण' जोव्वणह विसय-सुहहं परिणइ-दुहत्तिण ॥ मुणिवि सुमित्तह कित्ति-भरु दट्ठ समिद्धि-पयाउ । भद्द अभदायरण-रुइ विसु वियरेइ सु जाउ ॥
२७२. ३. क. सम्भाव; ५. क. भणहिमय; ख. भणहिममय.
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