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________________ तइयभवि वित्तगवृत्तंतु [२५४] कमिण ताण वि असम-रूवाण सुहि-सयणाणंदयहिं सूरतेय-विज्जुमइ-देविहिं । सु-पसत्थइ लग्ग-दिणि विविह-खयर-परिविहिय-सेविहिं॥ मणगइ-चवलगइ त्ति जय- पयड-दिण्ण-अभिहाण । अह कम-पाविय-वुड्ढि दु वि भवणइं हूय सुहाण ॥ इओ य [२५५] तस्सु वेयढ-(?) सिहरि-रयणस्सु दाहिणय-सेढिहि पवरि निय-समिद्धि-उवहसिय-सुर-पुरि । सियमंदिर-नाम-पुरि पउर-खयर-नर-तरुणि-मुंदरि ॥ रूव-परक्कम-निजिणिय- पंचवाण-हरिणिंदु । आसि अणंगस्सीहु इय नाम पयड्डु खयरिंदु ॥ [२५६] ___ तस्सु लोयण-जुयल-उम्मेसमेत्तेण सूइय-तियस- असुर-तरुणि-विसरिस-सरूवय । पिय आसि समुल्लसिय- रूव-विहव-लायण्ण-संचय ।। सारय-ससहर-पह-विमल सील-रयण भंडार । ससिपह-नामिण पत्त-जस जय-तरुणीयण-सार ॥ [२५७] तेसि असरिस-विसय-सुक्खाई साणंदु उवभुंजिरहं जाइ कालु कित्तिउ वि अन्नय । धणवइ-सुरु ठिइ-खएण चविय हय वर-रूव कन्नय ॥ तयणु घरागय-सय-सहस- खयर-स्सिरि-संकिण्णु । नामु महा-मह-पुव्वु तहि रयणवइ त्ति विइण्णु ॥ २५५. १. क. चेवय, ख. वेवय. ३. क. सिवपुरी. २५६. ३. क. मरूवय. ख, रूवय. २५७. ३. क. कित्तिओ. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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