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सुलह-पुत्थय- पमुह- सामग्गि
नेमिनाहचरिउ
अणुकूल - गुरुयण - हियउ ससि-निम्मल - मइ - विहवु गुरुयण - विजय-प्पमुह-गुण- रयण - रासि संजुत्तु । अइरिण सयल-कलोयहिहि सो पर पारि पहुतु ॥
पुव्व जम्म कय-सुकय-संचउ । विहिय- पाव पञ्भार- अवचउ ||
[२५१]
तयणु गहिरिम- हसिय-सरि-नाहु थिर-सरूव- अहरिय-धरायलु |
सिसिर - भाव उवहय - हिमायलु ॥
तुंगत्तण- तुलिय- गिरि तेयमि - विजिय-रवि असरिस - फुरिय-परक्कमिण निज्जिय-सीह- किसोरु | सयल महीयल - सुयण-मण
रयणावहरण-चोरु ॥
[२५२]
पुहइ सामिय हियय- मज्झत्थु
निव-लोय - संतोस - यरु उवसम-गुण- रयण-निहि संत पढमु गुणिहिं तिलउ दिक्खायरिउ बुहाई | हुय सु जोव्वण- भरि कुमरु मंदिरु परम- सुहाहं ॥
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धणदेव- धणदत्त-सुर
सोहम्म- सुरालयह सूरतेय - निवइहि तणय डहर तस्सु विचित्तगइ -
२५०. ५. भारु. २५३. ४. मुमुरालयह.
[२५३]
अह ठिs - क्ख ते वि तसु भाय
तरुणि-माण - दढ - थंभ-भंजणु ।
पणय-सरणु रिउ गच्व- गंजणु ॥
भुत्त-पंचविह-विसय-सुह-सय । चविवि जाय विलसंत- अइसय ॥ विज्जुमइहि संभूय | कुमरह बंधव हूय ॥
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