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नेमिनाहचरित [२४२]
समइकंतिहिं साइरेगेहिं । मासेहिं नवहिं कमिण पुव्व-दिसि व पसरंत-तम-हरु । उप्पायइ तरणि-समु तणय-रयणु गुरु-तेय-मणहरु ।। अह लहु सुललिय-नामियहिं दासिहि खयर-नरिंदु । विण्णत्तउ जह – पहु निययः तणु-पह-जिय-रयर्णिदु ।
[२४३]
सयल-महियल-एग-सामित्त संसिद्धि-सूयग-असम- विहवु लक्ख-लक्खण-अलंकिउ । इग-वयणिण सक्किण वि सयल-गुणिहि वण्णणि असक्किउ ॥ पुव्व-भवज्जिय-सरय-रयर्णिदु-विमल-सुह-रासि । लहु आगंतु वि नियम निय- नंदणु देविहि पासि ॥
[२४४]
अह पोसिउ दाउ दासीए आसन्न-वेणिउ पउरु दाणु दासि-भावु वि पणासिवि । स निउत्तय-नरहं सुय- जम्म-महिम-कज्जु वि पयासिवि ।। हरिस-वियासिय-मुह-कमलु खयर-नरिंदु तुरंतु । पत्तु तणुब्भव-जम्म-हरि परियगु वहि मेल्लंतु ॥
[२४५] अह निरिक्तिवि नियय-तणु-कंतिपभार-निज्जिय-तरणि तणय-रयणु खयरिंदु जंपइ । मिग-लोयणि रमणियण- मज्झि तमिह सलहिज्ज संपइ ॥ पढम दिणम्मि वि सयल-दिसि- मंडलु उज्जोयतु । जायउ नंदणु जीए एहु तेय-भरिण दिप्पंतु ॥ २१३. ३. विवुहलक्खु
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