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२४१]
तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु
[२३८] रायह सि व परम-पय-गमण सिय-पक्ख महुर-झुणिय कमल-कोस-विलसिर-विहारिय । लायण्णिण जोवणिण कित्ति-गुणिण तरुणि-यण-सारिय ॥ पणइ-मणोरह-वित्थरिय- रायहंस-सयवत्तु । आसि तस्सु खयराहिवह विज्जुमइ त्ति कलत्तु ॥
[२३९]
तेसि निरुवम-विसय-सुक्खाई साणंदु उवभुंजिरहं पुक-जम्म-कय-मुकय-जोगिण । उवगच्छइ कित्तिउ वि कालु सुहिण कलियहं विवेगिण ॥ अह सोहम्म-सुरालयह नियय-ट्टिइ-पज्जति । परिसेविय-वर-विसय-महु धण-सुरु भासुर-कंति ॥
[२४०]
चविय निरुवम-सिविण-उवइट्ठ विज्जुमइ-देविहि उयर- कमल-कोसि अवइण्णु तक्खणि । खयरिंदह पणय अरि तप्पिय वि हुय उदिय-सुह-खणि ॥ जायउ हरिसु समग्गहं वि विज्जाहरहं मणम्मि । फुरिउ निवइ-देविहिं तणउ कित्ति-प्पसरु जणम्मि ॥
[२४१]
तयणु पसरिय-सुद्ध-परिणाम संसार-सायर-तरण- पवहणाण जिग-नाह-पडिमई । कुव्वंती पूय पय वंदमाण मुणिवरहं परमहं ॥ पणय-मणोरह-पसरु खणु एक्कु वि न वि चालेइ । विज्जुबइटिण विहिण निय गम्भु देवि पालेइ ॥ २३८. २. ज्झुणिव य २४१. ३. पषहणेण. ५. क वंदण माण.
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