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________________ ५२ [२०२] तयणु नर- सुर-असुर-नरएसु नेमिनाहचरिउ पुणरुत्तु उत्तावियउ तह कहमवि जह न इह अन्न- - दिम्मि उ भणिउ हउं निय-दइयहं साणंदु | पहु तुह दंसहुं चरण-निवु एम्यहं सुह-तरु-कंदु || [२०३] किंतु दीसइ एह संमत्त सचिवंदि अणुकूल करि अह वंतर - रिङ- निविहिं आहारिय-पुव्वेहिं पुणु अंतर-मित्तिहिं चरण-निवु उवल भेइ सुहेहिं ॥ तेहिं तेहिं दुसहेहिं दुक्खिहिं । सक्कु कय-वयण- लक्खिहिं || कहि सेन्नम्म नीसेस - सुह Jain Education International 2010_05 खंति - कवइण सु-विवेय-कुंजरि चडिवि करि मदव धणु धरिवि तव - संजम - अवितह-वयगजीव-विरय-पासिण सवलु मोह- निवइ वंधेवि ॥ २०२. २. क. पुणुरुत्त. २०३. क. मित्तिहि. २०४. ८. विरिय. दलिय-दपि मिच्छत्त- मंतिहि । सव्वओ विपरिगलिय- कंति हि ॥ विमलागम - मुर्हि | [२०४] [२०५] तुरिउ पविससु चरण- रायस्स अह दइयह वयणु एहु धम्मघोस सूरिहि पुरउ चरण-निवह स परियणह वि करिवि तणु-रक्ख सील-हारु हिययम्मि परिहिषि । मुत्ति अज्जव वि चिंध उभिवि ॥ सोय-वाण संधेवि । फल-समिद्धि-वर कप्प- पायवि ॥ नियय-चित्ति निरु संपहारिवि । सयल तह त्ति करेवि । ठिउ मणि आण धरेवि || For Private & Personal Use Only २०२ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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