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________________ ५० नेमिनाहचरिउ [१९४] जिणि पयासिय अगुरु-गुरु-बुद्धि । पहिय मग्ग- उम्मग्ग सेमुहि ॥ वाल- बुद्धि उवइट्ठ सिव-सुहि ।। राय - दोस परस्सु । मिच्छदंसणु तस्सु || कय तत्त-अतत्त-मइ संपीणिय-पीइ-तरु हसिउग्गाइय-नदट-रइपयडिय - देवय- मइ सचिवु [१९५] जे य अन्नि विदुट्ठ वावार अण्णाण - मयण-प्पमुह भुवणोयर-पुर- पहिि विलसति य तह भुवण-यलकुमइ कुदिट्ठि अविज्ज- रइ तह दुर्द्दत-निय परियणह तियसासुर - निव- निवहअमियअंत कुलवइ - सहस अवरु असंववहारु इय Jain Education International 2010_05 [१९६] समस्थिह मोह - रायस्स दलिय-सयल-रिउ-राय-दप्पह | नाण- हरण-परम-विस-सप्पह ॥ पूरिय-सयल-पए । त्रिस्नयर-विसे ॥ बुक्कंत-संखेज्ज - गुणण अंतग्गय संति बहुतर्हि एक्केक्कि समक्किरिय मोह नरिंद- पर्यंड-बल [१९७] तत्थ गोलय नाम धवलहर १९४. ७. क. The letters १९६. ८. क. कुद्धि डि. १९७, ७. क. वृत्त. अंतरंग - रिउ वग्ग वग्गहि | मोह-निवहति व सेन्नि लग्गहि || जण - भुय- वलु भजंत । तरुणि भुवणि रंगंत ॥ तम्मि एक्क एक्केसु संहय । लक्ख-संख सु-निगोय ओरय ॥ जय-कुलपुत्त अनंत । रक्खय संति वसंत ॥ corresponding to दोस blurred. [ १९४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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