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[१८७
नेमिनाहचरिउ
[१८७] किंतु कहमवि विविह-तव-सुसियसव्वंगु मल-मलिण-तणु मोह-महण-जिण-वयण-भाविउ । गुरु-तण्हा-छुह-विवस- करणु कम्म-हणणेक्क-गाविउ ॥ छायहं पडिउ महद्दमह एगह नीसाहारु । मुणि मुणिचंदभिहाणु फुडु गहिय-धम्म-निहि-सारु ॥
[१८८]
एत्थ-अंतरि दुसह-खर-किरणपरितत्ति वसुहा-वलइ परिस-माण-वित्थरिहिं दियहिहिं । वायतिहि तविय-तणु- दीह-सास-पसरियहिं लूयहिं । विक्कमधण-निव-अंगरुहु धणु धणवइहिं समेउ । धणदत्तय-धणदेवेहि वि संजुउ मज्जण-हेउ ॥
[१८९]
पत्तु केणइ विहि-निओएण तीए वि गुरु-गिरि-सरिहि सन्निहाणि जा ता तह-द्विउ । अवलोयइ मुणि-वसहु किंचि लविरु सिव-मग्गि संठिउ । अहह मरु-त्थलि कप्प-तरु अहह रण्णि घण-बुट्टि । अहह रोर-घरि करि-कलहु अहह हूय मह तुहि ॥ १८८. ७. क. समेव.
१८९. ७. क. The letters corresponding to घण are blurred. स. धण, ७. क. बुद्धि
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