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नेमिनाहचरिउ
[१७९]
इय समेज्जह अस्थि जइ इच्छ कज्जंतु असेसमवि करि-तुरंग-रह-रयण-पत्तिण । गच्छंतहं तुम्ह पहि समुदवालु साहिसइ जत्तिण ॥ इय निसुणिवि किवि कोउगिण किवि चवलत्तणएण । किवि विहवज्जण-माण सिण किवि अमुहित्तणएण ॥
[१८०]
केवि बहु-धुय-निय-कुडुवेण उत्ताविय केवि वर- मंत-तंत-विज्जाहिकंखिय । किवि पिसुणदिय-हियय केवि उयर-पूरणि वि दुक्खिय ॥ तिण सहुँ झत्ति समुच्चलिय कय-गरुयर-उच्छाह । दीण दुहिय निव-सचिव-सुय वणिय सेहि सत्थाह ॥
[१८१]
अह पहुत्तइ पवर-दियहम्मि उपलद्धइ लग्ग-वलि विहिय-सयल-मंगल-विहाणिण । लहु चल्लिय पउर-नर- तरुणि-नियर ता सत्थवाहिण ।। संभासिवि मुहि-सयण-जण मग्गण सम्मावि । दिण्णु पियाणउं देव-गुरु पय-पउमई पणमेवि॥
[१८२]
तयणु तिण सहुं समय-नीईए संचल्लिय समण-सय सम्म-मुणिय-जिणनाह-सासण । परिवज्जिय-पाव-मण भविय-समुह-सिद्धंत-भासण । दस-विह-मुणि-आयार-रय गुरु-गुण-रयण-निहाण । निम्मल-माणस मुणि-वसह धम्मघोस-अभिहाण ॥
१७९. ३. कुरंग १८१. १. क. चल्लि उ.
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