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नेमिनाहचरिउ
[१७१] मणिण पुच्छिवि पासि केवलिहि वुत्तंतु नीसेसु लहु दंत-कंति-धवलिय-दियंतरु । परिसाहइ – निव-वसह सुणसु किंपि संपत्त-अवसरु । नव-वारारोवण-सरिस नव-भव-परिवÉतु । बहु-वहुयर-किसलय-कुसुम- फलहं समिद्धि वस्तु ।।
[१७२]
भुवण-पणमिय-चलण-तामरसु हरिवंस-कुल-सिरि-तिलउ विमल-नाण-सच्चविय-तिहुयणु । वावीसमु होइसइ नेमि-नाहु जिणु नमिर-सुर-यणु ॥ तणउ समुद्दविजय-निवह उवचिय-सिवु गय-लेवु । एहु तुह सुउ चुय-तरु-सरिसु राय-सुएहिं कय-सेवु ॥
[१७३]
इय सुणेविणु निवइ गुरु-हरिसु सामंत-सचिराइ-जुउ नमइ गुरुहु पय-पउम पुणु पुणु । अहिणंदइ धणकुमर- चरिउ धरिवि एगग्गु निय-मणु ॥ जाव य अग्गिमु लग्गु गुरु- वयणु सुणेउ पहिछ । ता सचिविण होइवि सवणि जंपिउ जह - पहु उछ ।
[१७४]
जमिह मगहाहिवह नरवइहि केणावि कज्जिण भवणि दूउ पत्तु चिट्ठइ तुरंतउ । इय सामिय पसिय मह वयणु अज्जु किज्जउ निरुत्तउ ॥ सूरिहि पय-पउमई पुणु वि वंदिज्जह आगंतु । अह नरवइ मुणिवर-चलण पुणु पुणु पुणु पणमंतु ॥ १७४. १. क. नरवइ.
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