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________________ [१६३ नेमिनाहचरिउ [१६३] ता विसेसिण सीह-वुत्तंतु निय-चित्ति लहु संठविवि मयणसिरिहि वइयरु वि सुमरिवि । थी-चरिउविग्ग-मणु मोक्ख-सोक्खु मणि संपहारिवि ॥ गुणहर-सूरिहि केबलिहि पुरउ वसुंधरु सिग्घु । पडिवज्जइ भव-भय-हरणु चरण-रयणु निविग्घु ॥ [१६४] तयणु अइरिण सुय-समुदस्सु पारम्मि पत्तउ सु मुणि मुणिय-दुविह-मुणि-किरिय-गोयरु । आराहिय-परम-गुरु- आणु आण-वदंत-नरवरु ॥ कम-संपाविय-ससि-विमल- चउ-नाण-स्सिरि-रिद्धि । आसन्न-ट्ठिय-परम-मुह- चिंतामणि-सम-सिद्धि । [१६५] ता निहालिवि नियय-नाणेण पुरओ य पुच्छिवि गुरुहु पुव्व-वित्तु वइयरु वसंतह । सु-विणिच्छिवि इह वि वणि हुयउ भुयगु इय तसु विचित्तह ॥ पडिवोहत्थु इहागयउ हउं सु स-परियण-जुत्तु । ता उबइठ्ठ सिरीसिवह पुत्र-जम्म-वुत्तंतु ।। [१६६] तयणु तेण वि जाइ-सरणेण पेक्खेविणु पुच भव गहिवि पंच दियहाणि अणसणु । परिउज्झिवि पाव-तणु पत्तु विवुह-सलहिउ सुरत्तणु ॥ सुर-मंदिरि सोहम्मि लहु तिण वसंत-जीवेण । भुयगिण पुव्व-भविय-खविय-महिल-जणिय-पावेण ॥ [इति वसंतसिंहाख्यानकं समाप्तम् ॥] १६५. ३. क. ख. विणि. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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