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१९२१ ]
सत्तमभवि संखवुत्तति महावीरचडि
[१९१८] ___ अहह पिच्छहु चत्त-करुणेण भयवंतिण जं विहिउ किंव हउं वि पहु-भत्ति-वज्जिउ । जं विप्प-चोहण-मिसिण जिणिण अप्प-पासह विसज्जिउ ॥ अप्पणु पहु गउ सिव-पुरिहिं हउं पुणु मुक्कु अ-णाहु । अहव कुणंतह एरिसउ तसु अग्गलउ कु लाहु ।
[१९१९]
जइ वि डज्झसि हियय डज्झेसु अह फुट्टसि फुडसु फुड तह-वि चत्तु तुहुँ सामि-सालिण । रज्जंतउ वीर-जिणि अणणुरत्ति धुवु खद्ध कालिण ॥ जम्हा अ-सलिलु पंकु इहु एह अ-नियला गुत्ति । पंजरु एहु अ-दारुमउ नेहु जु दइय-जणि त्ति ॥
[१९२०] __ अहव सामिउ राय-दोसेहिं परिचत्तउ इय कसु वि उपरि नेव पडिवंधु पयडइ। इय मारिसु नेहु तर्हि जिणि कुणंतु अप्पाणु विनडइ ।। ता जहिं पत्तउ वीर-जिणु दलिवि कम्म-नियलाई । तहिं जाइवि भुंजिसु हउँ वि निय-मुकयाहं फलाई ॥
[१९२१]
इय विचिंतिरु सुद्ध-परिणामु खउ घाइ-कम्मह करिवि तहिं वि नाणु केवलु समज्जइ । अह केवलि-महिम सुर कुणहिं गयणि दुंदुहि वि वज्जइ । ता गोयम-सामि-प्पमुह गणहर दस वि समत्थ । दाउ सुहम्म-स्सामियह भव-विराय-पडिहत्थ ॥ १९१९. ३. क. चित्त. ९. क ज. १९२१. ८. क. सामियह.
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