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________________ [१९२२ ४३२ नेमिनाहचरिउ [१९२२] खविय-निय-निय-पाव-कम्माण उवलंभिय-नाण-धण वइय-सयल-भव-भाव-वंधण । पडिवोहिय-भविय-जण निहय-कम्म अणुगामि-मुणि-गण ।। काइय-वाइय-माणसिय- जोग-त्तइण विउत्त । इग-सामइयहं रिजु-गइहिं सिव-नयरम्मि पहुत्त ॥ [१९२३] सिरि-सुहम्म-स्सामि पुणु समणसहसेहिं वहूहिं सह विहरमाणु सयलहं वि वसुहहं । पडिवोहु कुणंतु दिण- नायगु व्व वहु-भविय-कमलई ॥ सेणिय-पमुह-नराहिवइ- निवह-विहिय-पय-सेवु । कालु गमावइ कित्तिउ वि नाण-पईवु अ-लेवु ॥ [१९२४] जंवु-सामिहि दाउ निय-गच्छु वित्थारिवि धरहं जसु विहिय-अंतु निय-घाइ-कम्महं । कय-केवल-नाण-धणु हुयउ गेहु सिव-वास-सम्मई ॥ चंदणवाल पवत्तिणि वि निरुवम-समणि-सणाह । उप्पाडिय-वर-नाण-भर गय सिव-पुरिहिं अ-वाह ॥ [१९२५] आसि चउदह-सहस-समणाण समणीण छत्तीस इगसठु लक्खु सावयहं विमलहं । अट्ठारस-सहस-समहीय तिन्नि सय-सहस सुकुलहं॥ निम्मल-सोलह सावियहं निरुवम-धम्म-धुराई । वीर-निर्णिदह जय-गुरुहु निरु आएस-पराहं ॥ १९२२. ३. थइय. १९२१. १. क. जंबुस्सामिहि. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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