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तयणु
सामाणिय- पमुह- सुरसुर-तरुणिउ एहि पुणु पडिवज्जहुँ दइयत्तणिण स- मइण चमरोवरि-ठिइण
नेमिनाeafte
[१८१७]
रोसारुण - लोयणिण
कर-कय- फरिहाउहिण
अरि अरि सक्क तुहुं अज्जु
[१८१८]
इय स-निठुर वयण निसुणत
रोसारुण - नयण-दल अरि चमरय दिट्टि पहु किह इह आगंतूण तुहुं
सक्क-सुहड साडोवु जंपहिं । मुयसु जा न पहु-भिच्च कुपर्हि ॥ मरहि अ-पूरइ कालि । अज्ज - वि वलिउण हंत लहु लहु पविससु पायालि ||
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[१८१९]
तयणु भिउडिय - भाल- वट्टेण
सहिउ सरसु निय- इट्ठु को वि-हु । एहि तुझ लच्छी विमई विहु ॥ जिह पावति सुहाई । तई पुणु एयहं काई ॥
इगु पउठविरिण वे यह इगु सुर - गिरि-चूलाए । सक्क-सुहड सयलि विखणिण परमुहिकय हेलाए ||
भवण - वइ.
सोहम्म-सुराहिवरतयणतरु रिउ दुसहिण पसरिय- पहिण इय जंपेवि विमुक्कु तमु
कंपमाण - अंगेण चमरिण ।
सक्क-सुरिहि सह विहिय- समरिण ||
[१८२० ]
ता विसप्पिर दप्पु चमरिंदु
[ १८१७
err - देउ समुइ समुहउ । अहम अरिरि रे चमर नियउ || मह-सत्थिण एएण । समुहु वज्जु सक्केण ॥
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