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नेमिनाहचरिउ
[१७६१] किंचि समहिय अट्ट-वारिसिउ
हुउ कमिण जय-पहु वि तयणु देवि सिद्धत्थ-निवइ वि । पहुहु नाण- माहप्पु अ-मुणिनि ॥
सुय- रयण - नेहह वसिण हायवि लित्तालंकरिउ निउ उवझायह पुरउ पहु
वृतंतु सुराहिवड़
उवझायह कइ कयइ जय-बंध तसु पुरउ पुणु पुच्छइ सद्दत्थ विसइ
कय- कोउय- मंगल्लु | निरुवम- सिरि-सोहिल्लु ॥
[१७६२]
तयणु आसण-चलण-विष्णाय
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तत्थ झत्ति वेगिण पहुत्तउ । Bafa सीह आसणि निरुत्तउ || सयमुवविसिवि कत्थु | नी सेमुवि भावत्थु ।।
[१७६३]
ताव परुवइ गहिर-सदेण
सदत्थ-लक्खणु सयलु वीर नाहु अग्गइ सुरिंदह । उझाइ पुणु गवि के वि लेस तसु सद-विवह || विरइउ इंद-व्वागरणु मुइउ जणु वि असेसु । सामिहि वालय - मेह वि निसुणिवि वयण - विसेसु ॥
[१७६४]
तिस-नाहु वि पणय- जिण - सामि
संपत्तउ सुर-भवणि परिणेइ जसोय वरवर्भुजंतह तीए सह निय-कुल- नहयल-चंद-पह इग पियदंसण धूय ॥
१७६४. ४. क. परिणेय. ८. क. चंदप्पह
कमिण पहु वि तारुण्ण पत्तउ । राय-कन्न नर-वरिण वृत्तउ || विसय-सुहईं तसु हृय ।
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