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________________ ३९४ नेमिनाहचरिउ [१७६१] किंचि समहिय अट्ट-वारिसिउ हुउ कमिण जय-पहु वि तयणु देवि सिद्धत्थ-निवइ वि । पहुहु नाण- माहप्पु अ-मुणिनि ॥ सुय- रयण - नेहह वसिण हायवि लित्तालंकरिउ निउ उवझायह पुरउ पहु वृतंतु सुराहिवड़ उवझायह कइ कयइ जय-बंध तसु पुरउ पुणु पुच्छइ सद्दत्थ विसइ कय- कोउय- मंगल्लु | निरुवम- सिरि-सोहिल्लु ॥ [१७६२] तयणु आसण-चलण-विष्णाय Jain Education International 2010_05 तत्थ झत्ति वेगिण पहुत्तउ । Bafa सीह आसणि निरुत्तउ || सयमुवविसिवि कत्थु | नी सेमुवि भावत्थु ।। [१७६३] ताव परुवइ गहिर-सदेण सदत्थ-लक्खणु सयलु वीर नाहु अग्गइ सुरिंदह । उझाइ पुणु गवि के वि लेस तसु सद-विवह || विरइउ इंद-व्वागरणु मुइउ जणु वि असेसु । सामिहि वालय - मेह वि निसुणिवि वयण - विसेसु ॥ [१७६४] तिस-नाहु वि पणय- जिण - सामि संपत्तउ सुर-भवणि परिणेइ जसोय वरवर्भुजंतह तीए सह निय-कुल- नहयल-चंद-पह इग पियदंसण धूय ॥ १७६४. ४. क. परिणेय. ८. क. चंदप्पह कमिण पहु वि तारुण्ण पत्तउ । राय-कन्न नर-वरिण वृत्तउ || विसय-सुहईं तसु हृय । For Private & Personal Use Only [ १७६२ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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