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[१७३७
नेमिनाहचरिउ तहा हि -
[१७३७]
एत्थ खत्तिय-कुंड-गामम्मि नयरम्मि स-तेय-भर- हरिय-सेस-तेयस्सि-वित्थरु । सिद्धत्थु नामिण पयडु आसि निवइ पसरिय-मडप्फरु ॥ रंभ-तिलोत्तिम-हरि-दइय जिए जिय लीलाए वि। सा तसु आसि पसिद्ध पिय नामिण तिसलाएवि ॥
[१७३८]
तासि निरुवम-विसय-सुह-अमयपरिसित्त-चित्तहं गयउ कालु को-वि अह अन्न-अवसरि । पुन्धज्जिय-गिरि-गरुय- मुकय-वसिण रयणीए अंतरि ।। अवलोयइ सयणिज्ज-गय देवि असम-फलयाई । चउदह गय-वसह-प्पमुह सु-पसत्थई सिमिणाई ॥
[१७३९]
तयणु उद्विवि कहइ देवस्सु सिर-विरइय-पाणि-पुड अह भणेइ सिद्धत्थु नरवइ । जह - सामिणि किं-पि तुह तणय-रयणु हविहइ महा-मइ ॥ छक्खंडह वि वसुंधरह सामिउ चक्कवइ च । तियसासुर-नर-पणय-पय- पंकउ तित्थवइ व्व ।।
[१७४०]
हवउ हवउ य सामि एयं ति पुणरुत्तु देवि वि भणिवि वियसमाण-मुह-कमल-संतिय । परिवालइ गभु अह अवर-दियहि किंचि वि स-चिंतिय ।। गम्भऽवइण्णइ वीर-जिणि अ-चलिर-अंगोवंगि । अ-परिफंदिर-कुक्खि परिदेवइ किंचि नयंगि ।। १७४०. १. क हव भो. २. क. पुणुरुत्त.
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