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१७३६ ]
सत्तमभवि संखवुरंतु [१७२८] तह अद्वारस-सीलंग-सहस-अइजच्च-रयण-मालाहिं।
अप्पा विहूसिओ च्चिय धरियव्यो जाव-जीवं पि ।
[१७२९] रमियव्वं पुण पंच-प्पयार-सज्झाय-परम-आरामे ।
पंच-विहासु य समिईसु तिमु य गुत्तीसु जइयव्वं ॥
[१७३०] सहियन्वो परीसह-वग्गो वावीस-भेय-भिन्नो वि ।
दिव्वाइणो य अहिवासेयव्या विविह-उवसग्गा ॥
[१७३१] दस-विह-मुणि-जण-सामायारी असवन्न-जोय-चिंताए ।
कायव्वा परिनिद्ववियव्यो कम्मारि-संदोहो ॥
[१७३२] पावेयव्वा उवसम-लच्छी कायव्यमवहियं हिययं ।
उप्पाडेयव्वं ससि-विमलं पुण केवल-ण्णाणं ॥
[१७३३] ता मोत्तु पूइ-देहं मलिऊणं नाण-चरण-रयणाई ।
गंतूण सिव-पुरीए घेत्तब्धा तिहुयण-पडाया ।
[१७३४] एएसु य सव्वेसु वि उवएस-पएमु भावि-जिण-इंदो ।
सिरि-वद्धमाण-सामी आहरणत्तेण नायव्वो ॥
[१७३५] एत्थंतरम्मि वियसिय-मुह-कमलो भणइ संख-रायरिसी।
भयवं कहसु कहं मह भाविर-सिरि-वीर-जिणवइणो ॥
[१७३६] ता दसण-किरण-धवलिय-दियंतरो केवली पयंपेइ ।
___जह - भद्द इमा महई कहा तह वि सुणसु ले सेण ॥ १५३४. २. क. उवएसु.
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