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नेमिनाहचरिउ [१६८७] अवराजिय-पीइमई पइ-भज्जा पंचमम्मि जम्मम्मि ।
छट्टे आरण-देवा तो वि चविऊण तमियाणि ॥२४॥
[१६८८] जाओ संख-नरिंदो एसा भज्जा उ तुह समुप्पन्ना ।
एत्तो तुमे हविस्सह तियसा अवराजिय-विमाणे ॥२५।।
[१६८९] तत्तो वि-हु चविऊणं इह चेव य भारहम्मि वासम्मि ।
वावीसइम-जिणिंदो होहिसि तं रिट्टनेमि त्ति ॥२६॥
[१६९०] राइमई-अभिहाणा धूया होऊण उग्गसेणस्स ।
तुह सविहे गहिय-वया एसा वि-हु सिज्झिही तइया ।।२७||
[१६९१] एवं देव-भवेमुं सम्वेसु वि मित्त-भाव-संजणिओ।
इयरेसु मिहुण-भावत्तेण मिमो निविड-पडिवंधो ॥२८॥
[१६९२] एय गुणहर-जसहर-मइप्पभा तुज्झ बंधव-अमच्चा।
सिज्झिस्संति लहेउं गणहर-भावं तुह सयासे ॥२९॥
[१६९३] इय सोउं सयलाणि वि मायंति न हरिसियाई अंगेसु ।
अणुजाणावेऊण य केव लिमागंतु निय-गेहे ॥३०॥
[१६९४] मेलेउ सार-परियणमसेसमवि तस्स संमए जाए ।
रज्जम्मि पुंडरीयं निवेसिऊणं विभूईए ॥३१॥ [१६९५] सयलाए वि वसुहाए सोहावेऊण चारय घराई ।
सम्माणिऊण सुयणे संभासे ऊण सुहि-गुणिणो ॥३२॥
[१६९६] जिण-पवयणस्स विहेउं पहावणं विविह-भेयमच्चंतं ।
वहु-भेय-मंति-सामंत-सेट्ठि-सत्थाह-सुय-सहिओ ॥३३॥
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