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________________ ३८२ नेमिनाहचरिउ [१६८७] अवराजिय-पीइमई पइ-भज्जा पंचमम्मि जम्मम्मि । छट्टे आरण-देवा तो वि चविऊण तमियाणि ॥२४॥ [१६८८] जाओ संख-नरिंदो एसा भज्जा उ तुह समुप्पन्ना । एत्तो तुमे हविस्सह तियसा अवराजिय-विमाणे ॥२५।। [१६८९] तत्तो वि-हु चविऊणं इह चेव य भारहम्मि वासम्मि । वावीसइम-जिणिंदो होहिसि तं रिट्टनेमि त्ति ॥२६॥ [१६९०] राइमई-अभिहाणा धूया होऊण उग्गसेणस्स । तुह सविहे गहिय-वया एसा वि-हु सिज्झिही तइया ।।२७|| [१६९१] एवं देव-भवेमुं सम्वेसु वि मित्त-भाव-संजणिओ। इयरेसु मिहुण-भावत्तेण मिमो निविड-पडिवंधो ॥२८॥ [१६९२] एय गुणहर-जसहर-मइप्पभा तुज्झ बंधव-अमच्चा। सिज्झिस्संति लहेउं गणहर-भावं तुह सयासे ॥२९॥ [१६९३] इय सोउं सयलाणि वि मायंति न हरिसियाई अंगेसु । अणुजाणावेऊण य केव लिमागंतु निय-गेहे ॥३०॥ [१६९४] मेलेउ सार-परियणमसेसमवि तस्स संमए जाए । रज्जम्मि पुंडरीयं निवेसिऊणं विभूईए ॥३१॥ [१६९५] सयलाए वि वसुहाए सोहावेऊण चारय घराई । सम्माणिऊण सुयणे संभासे ऊण सुहि-गुणिणो ॥३२॥ [१६९६] जिण-पवयणस्स विहेउं पहावणं विविह-भेयमच्चंतं । वहु-भेय-मंति-सामंत-सेट्ठि-सत्थाह-सुय-सहिओ ॥३३॥ ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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