SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 394
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६८६ ] सत्तमभवि संखवुत्तंतु [१६७८ ] तम्हा अ-पत्त-पुब्वं सुहावहं सासयं हियं सारं । एक्कं चिय जिण धम्मं नर-वर जाणेज्जसु जयम्मि || १५ || [१६७९ ] सोय वो कायव्वो चिंतेयव्वो य नूण विहेहिं । जिण धम्मो च्चिय लद्धुं दुलहमिमं धम्म-सामरिंग || १६ || [१६८०] जे अत्थ-काम-लुद्धा अहमा सामग्गिमेयमहलेति । राडिया वि हारिया रयण- कोडित्ति ॥१७॥ [१६८१] अह संवेय- वसागय- नयणं सु-जलेण पुलइयंगेण । धरणि-' -पहुणा भणियं - जं भणह तह ति तं नाह ॥ १८ । [१६८२] ज तुमए करणिज्जं कहिये तं चिय करेमि मुणि-नाह । रज्जम्मि पुंडरीयं जसमइ - पुतं ठवेऊण ॥१९॥ [१६८३] किं-पुण साहस पसिउं कह मह जसमईए एरिसओ । अइ-निविडो पडिवंधो तयणु पयंपेइ मुणि-नाहो ||२०|| [१६८४] कम्म-वसेणं कस्स-वि केण वि सह होइ निविड- पडिवंधो। निक्कारणो त्रि तुह उण स-कारणो एस नर-नाह ॥ २१ ॥ w जओ [१६८५] धण-धगवर पर-भज्जा पढमे जम्मम्मि लद्ध-संमत्ता |कय-पव्वज्जा वीए सोहम्मे सुर-वरा जाया ॥२२॥ [१६८६ ] चित्तगई -रयणवई पइ-भज्जा तइय खेयर - भवम्मि । विहिय-वया माहिंदे चउत्थ- जम्मे सुरा जाया ||२३|| १६८४. २. क. व. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only ૩૮૨ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy