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________________ नेमिनाहचरिउ [१६३३ [१६३३] इय तुरंतिण तत्थ आगंतु मुहि-सयण-जणणी-जणय- पमुहु लोउ सयलु वि नियल्लउ । आणंदेयव्वु तई हवइ तेसि जिह हरिसु भल्लउ ॥ तयणु कुमारिण तह भणिउ सिरि-जियारि-नरनाह । जिह विण अणुमन्निउ कुमरु विहिय-विविह-संवाहु ॥ [१६३४] सहिउ वहुविह-खयर-निवई हि भंजंतउ रिउ-कुलह दप्पु तरुणि-माणिण समन्निउ । पयडंतउ कित्ति-भरु तह पयावु सुहि-सयण-वन्निउ ।। अणुगम्मतउ जसमइहिं तह जिण-धम्म-मइए । पसरंतउ गुरु-विक्कमिण तह वि-हु रज्ज-सिरीए । [१६३५] पत्तु अइरिण हस्थिणउरस्स आसन्न-पएसि अह मुणिय-पुव्व-वइयरिण निवडण । अभिमुहयमुवागइण उच्छलंत-गुरु-नंदि-घोसिण ॥ विहिय हट्ट-सोहा-पमुह- नयरूसव-पसरम्मि । महया महिण पवेसियउ नंदणु निय-नयरम्मि ॥ [१६३६] तयणु विम्हिय-हियइ मुहि-वग्गि संतुट्टइ भिच्चयणि दलिय-दप्प-माह प्पि रिउ-कुलि । मयणाउरि तरुणियणि वच्चमाण-हरिसम्मि निय-वलि ॥ नर-नायगिण करावियइ बद्धावणय-महम्मि । दइयहिं सह विलसइ कुमरु संठिउ निय-नयरम्मि ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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