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[१५९१]
हरिय- तारय- रेणु-नियर म्मि अइ-निष्पsि दोसयरि निम्मलम्मि गयणयलि चडूडिउ ।
रवि रेहइ कणयम मंगलत्थु नं कलसु मंडिउ ॥ भमरा धावहिं कुमुइणिउ उज्झिवि कमल-वणेसु । कस्स व कर्हि पडिबंधु जगि चिर-परिचिय - ठाणेसु ॥
मिलिऊण साणंद हुय कोसिय-कुल एक्कु परि एत्थंतरि तर्हि धरणियलि तुंग-विसाल-सिंग गिरि
नेमिनाears
[१५९२]
विरह - विहुरिय- चक्क मिहुणाईं
अभंतरि करुण-रखु अह संख कुमार वरु न किं सुम्मइ इह विसमtear खणु अवहिय-हियउ
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तुट्ट भमर्हि पहियण महीयलि । दुहिउ रवि आरूढ नहयलि || संख-कुमारु भमंतु । यह सिहरि पहुत्तु ॥
[१५९३]
जाव ता तसु सवण - जुयलस्सु
वालियाए का वि पविउ । निय-मणेण चिंतइ पहिउ || गिरि - सिंहरह उवरिम्मि । एयं पि-हु निसुणेमि ॥
[१५९४]
एत्थ - अंतरि - अरि दुरायार
किं कज्जु तई मज्जु इह विच्छहिउ वंधुयणु तह मह जम्मंतरि वि पिउ
अवरु न पडियउ अंखिर्हि वि खुडुकइ पुरि अ-सारु ॥
[ १५९१
जं विइण्ण दुक्खाईं जणयहं । दिण्णु अ-सुहु सहियणहं सयणहं || हविह संख - कुमारु ।
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