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________________ ३६२ [१५९१] हरिय- तारय- रेणु-नियर म्मि अइ-निष्पsि दोसयरि निम्मलम्मि गयणयलि चडूडिउ । रवि रेहइ कणयम मंगलत्थु नं कलसु मंडिउ ॥ भमरा धावहिं कुमुइणिउ उज्झिवि कमल-वणेसु । कस्स व कर्हि पडिबंधु जगि चिर-परिचिय - ठाणेसु ॥ मिलिऊण साणंद हुय कोसिय-कुल एक्कु परि एत्थंतरि तर्हि धरणियलि तुंग-विसाल-सिंग गिरि नेमिनाears [१५९२] विरह - विहुरिय- चक्क मिहुणाईं अभंतरि करुण-रखु अह संख कुमार वरु न किं सुम्मइ इह विसमtear खणु अवहिय-हियउ Jain Education International 2010_05 तुट्ट भमर्हि पहियण महीयलि । दुहिउ रवि आरूढ नहयलि || संख-कुमारु भमंतु । यह सिहरि पहुत्तु ॥ [१५९३] जाव ता तसु सवण - जुयलस्सु वालियाए का वि पविउ । निय-मणेण चिंतइ पहिउ || गिरि - सिंहरह उवरिम्मि । एयं पि-हु निसुणेमि ॥ [१५९४] एत्थ - अंतरि - अरि दुरायार किं कज्जु तई मज्जु इह विच्छहिउ वंधुयणु तह मह जम्मंतरि वि पिउ अवरु न पडियउ अंखिर्हि वि खुडुकइ पुरि अ-सारु ॥ [ १५९१ जं विइण्ण दुक्खाईं जणयहं । दिण्णु अ-सुहु सहियणहं सयणहं || हविह संख - कुमारु । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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