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________________ २४ नेमिनाहचरिउ [९१] किंतु कारणु तुरिय-आगर्माण मह सुणसु पसीय पहु जेण सयलु साहेमि लेसिण । विक्कमधण-नरवरिण तयणु कहसु कहसु ति.भणिइण ॥ सो सचिवाहिवु चित्तगइ सिर-विरइय-कर-कोसु । हरिस-वियासिय-मुह-कमलु साहइ एहु असेसु ॥ [९२] देव निरुवम-रूव-लायण्ण ससि-निम्मल सयल-कल कुम्म-चलण कलहंस-गमणिय । कुंजर-कर-ऊरु-जुय अमर-सरिय-पिहु-पुलिण-जहणिय ॥ वियड-नियंव-त्थल गहिर- नाहि-कूव महणिज्ज । अच्चुन्नय-थिर-थोर-थण- जुयल तरुण-रमणिज्ज ॥ [९३] सरल-अंगुलि सुहय-कर-कमल परिविलसिर-वाहु-लय जणिय-मयण-जय-कंठ-कंदल । कणगुज्जल-गडयल वयण-कंति-जिय-चंद-मंडल ॥ सवणंदोलय-गय-नयण कोइल-महुरालाच । कमल-दलारुण-अहर अलि- सामल-केस-कलाव ।। [९४] चंद-निम्मल सील-सिंगार हर-हास-कासुज्जलय- चरिय विमल-गुण-रयण-मंडिय । मिय-भासिर थिर-गमिर सयलु कालु पिइ-माइ-वढिय ॥ सीह-नाम-नरनाह-कुल- गयणंगण-ससि लेह । धणवइ-नामिय अस्थि धुय वर-वहु-लक्खण-गेह ॥ ९१. ५. क. ख. भणिएण. ९४. ६. क. चड़िय. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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