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पदमभवि धणवतं तु
[८७]
तयणु नणु किं सच्चु संजाउ
सहि भइणिय- भणिउ इय सांडु समुल्लवइ अवल अयाय वाल हउं भणि- विक्खण तुह पुरउ
[ac]
ता सयं पि हु समय-संपत्तु
भणिय
असे
तई
पत्थुयत्थ-संसिद्धि-कारणु ।
तह कमलिणि भणइ - सहि तं पि किं पितसु असुह-वारणु ।। सकर - विणिम्मिड पेसवसु इयरह गय-सरणाउ । सो पेसिय तह समुह-मणु विवइहि हय-मयणाउ ||
चिंतयंत धणवइ - कुमारिय । सचिव-पुरउ गुरु-लज्ज - सारिय ॥ सयल-कलुज्जल-चंद | किं कहेमि सचिविंद ॥
[९]
तणु णव ईसि विहसंत
लज्जंत महि-निहिय-मुह गुरु-जत्तिण निय-करिहिं अणुजाणइ पत्थुय-विहिहिं
सायरु कय-सक्कारु ।
तक्खणमवि सचिवाहिक वि चल्लिउ बहु-परिवारु ॥
[0] अयलपुर-नयरि
आगओ यथोविहि विदियहिहिं । कुसल मद सिरि-सीह - निवइहि ॥ सामिय कुसल सया वि । जसु न विरमहि कया वि ॥
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भुज्ज-खंड सहस- त्ति वेष्पिणु । लिहिवि सचिव - करयलि समप्पिणु ॥
पवण - वेगिण
नरनाह-चलणहं पुरउ तापुर नरवरिण
सचिवु भणई - नणु मह पहुहु सार करंतर वीरु तुहुं
८८. २. क. असेस. ७. सरणेउ ९. मयणेउ. ८९. २. क. सज्जंत supplied marginally. ९०. ३. क. थोविह.
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