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नेमिनाहचरिउ
[८३] ___ अह समच्छर होउ होउ त्ति पज्जत्त तुहे कहहं नाय तुज्झ कमलिणि वियढिम । खइ खिवहि क्खारु किह अहव एह तुह एण्हि वड्डिम ।। जं अग्गइ ठिय टिलिविलिहिं जासि अदुहि भइणीए । अहव खमेज्जसु दोसु इहु मह बहु-दुह-सरणीए ॥
.८४] तयणु कमलिणि भणइ पणमेत्रि रूसेसि तुहुं किह णु सहि किं न वयणु निमुणेसि अग्गिमु । सब्बुत्तिम-सिरि-निलय- भुवण-तिलय-पिय-लाह-चंगिमु ॥ अम्हि वारिय वि न थक्किसहुँ मुणिवि स-सहिहि सुहाउ । करिसहुँ निय-जीहह वि मुहु वोल्लिवि जह विण्णाउ ।।
अज्ज एंतिण नियय-भवणाउ मई दिट्ठउ अद्ध-पहि सयल-काल-जाणणु निमित्तिउ । अह कइयह विसम-दस- विरमु सहिहि हविहि त्ति चिंतिउ । तिण पुद्विण नेमित्तिएण कहिउ - म भंति करेसि । आयरु करिसइ धणु कुमरु सयमवि तुह सहि-रेसि ॥
[८६] एत्थ-अंतरि विहिय-संवाहु पुव्वुत्तउ चित्तगइ सचिवु पत्त सविहंमि कुमरिहि । जंपेइ य परिविहिय- गरुय-माणु वयणेहिं महुरिहिं॥ विक्कमधण-सुय धण-पुरउ अयलपुरंमि गएण । किं कहियवउं मई कहसु सुंदरि तुह कज्जेण ॥ ८३. २. पज्जतह. ३. नय, ४. क. खिवहिं. ८. एहु.
८६. ४. क. The letters between जपेइ and रिविहिय are blurred and illegible. The first letter appears like 7.
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