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________________ नेमिनाहचरिउ [१५६४ [१५६४] इय करुणुल्लवंतस्स तस्स लहु मलएव-धुत्तस्स । सिरि-धम्मघोस-गुरुणा दिण्णो जिण-देसिओ धम्मो ॥२२॥ [१५६५] इय विसय-वेग-घुम्मिय-मणेण वेसमण-मयण-धुत्ताण । द? विचेट्ठियाई नियय-चरियं च मुणिऊण ॥२२२॥ [१५६६] आयण्णिउं च गुरुगो तं अमय-विवाग-सुंदरं वयणं । संजाय-भव-विराया पडिवज्जइ चरण-रयणं ति ॥२२३॥ [१५६७] तदनुक्रमशो गुरु-पद-कमलाराधन-लसन्मनःप्रसरा । प्रकटित-निजातिचारा प्रायश्चित्ताचरण-चतुरा ॥२२४॥ [१५६८] निर्मथित-पाप-पङ्का समुपचित-शशाङ्क-कान्त-सद्धर्मा । इह-परलोकाराधन-निपुणा रतिसुन्दरी जाता ॥२२५॥ इति रतिसुन्दरी-कथानकं समाप्तमिति ॥ [१५६९] इय मुणेविण कुमरु साणंदु रइसुंदरि-तरुणि-कह फुरिय-गरुय-विम्हय-चमक्किउ । गुरु-वयणिण मुणिवि भव - भावि-भावु हियवइ धवक्किउ ॥ परिभावंतउ पुणु पुणु वि मणि जिण-सासण-सारु । निय-निय-ठाणि समाणवइ सयलु वि निय-परिवारु ॥ [१५७०] एत्थ-अंतरि विहि-निओएण सेज्जायल-संठियउ संख-कुमरु स-सविह-वणंतरि । पसरंतउ करुण-रवु पविसमाणु निय-सवण-अंतरि । उवलंभिवि सासंक-मणु उढिवि खग्ग-सहाउ । वंचाविय-परियण-नयणु लहु तयभिमुहउ आउ । ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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