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१५७४]
सत्तमभवि संखवुत्तंतु [१५७१]
जाव ला तिण कुसुम-फल-भारअइ-वहल-साहा-सहस- वस-निरुद्ध-दिसि-तरुणि-वयणह । एगस्स मह-दुमह निय-समिद्धि-संछन-गयणह ।। मूले वइट्ट कवोल-तल- निवडिर-नयण-जलोह । विलविर वुद्ध महेल इग दिट्ठिय गरुय-दुहोह ॥
[१५७२]
तयणु पुच्छिय - कहसु नणु किह णु तुहं अंव स-करुण-रखु अ-सरण व्व विलवेसि संपइ । अह कह-वि महेल तसु पुरउ दीह-नीसासु जंपइ ॥ किमहमउण्णिय करयलह निवडिय-रयण-निहाण । गलिय-विवेयय तुह पुरउ साहउं पुरिस-पहाण ॥ .
[१५७३]
अह स-संभमु कुमरु जंपेइ नणु अंव साहसु फुड जमिह तुज्झ करयलह निवडिउ । किह कीरइ पडिविहि वि जा न सज्झु वयणेहि पयडिउ ।। ता कुमरह दंसण-वसिण किंचि पयासिय-तोस । इयरी भणइ - सुणेसु नर- तरणि पणासिय-दोस ।
तहा हि
[१५७४] __ अंग-जणवय-मज्झि विलसंतसूरोदय-राय-सिरि - विउलिमाहि गयणेण सरिस वि । निरु उदिय-गुरु-वुह-कइहि गयण लच्छि अहरइ असेस वि । जत्थ य सिरि-चनुपुज्ज-जिण. इंदह जम्म-दिणम्मि । नच्चिउ वारविलासिणिहिं पलविउ निव्वाणम्मि ॥
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