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नेमिनाहचरिउ
[ १५२३
[१५२३] प्रिय-संगमि जे वुल्लडा सहि वित्ता एक्कंति ।
ते गुरु-मंतक्खर-सरिस कहणा कसु वि न जंति ॥१८०॥ [१५२४] तह पिययम संसारे गिरि-गरुवासे स-दोस-भंडारे ।
एयम्मि वितह-वाई पाएण जणो समग्गो वि ॥१८॥ [१५२५] किं पुण गणिया वग्गो इय मा तुह मह य लाहवं होज्जा ।
__ मज्झे जणाण वितहं सयलं पि इमं ति मुणिराण ॥१८२॥ [१५२६] अहयं तु उज्जमिस्सं कहं पि तह जेण विग्घ-विरहेण ।
तुमए सह मह होहो जा-जीवं विसय-सेव त्ति ॥१८३॥ [१५२७] इय विहिय-निच्छया सा रइसुंदरि-कामिणी गणिय-पवरा ।
पडिवन्न-सयल-वयणस्स धुत्त-तिलयस्स तस्स लहुं ॥१८४॥ [१५२८] नियय-कर-किसलएहिं विण्णाण-प्पगरिसेण य निएण ।
व्हाण-विलेवण-वत्थालंकारे वियरइ स-तोसं ॥१८५॥ [१५२९] इयरो वि-हु पडिवज्जिय-साहाविय-महिम-रूव-विण्णाणो ।
जाओ उवहसियाखिल-तियसासुर-खयर-माहप्पो ॥१८६॥ [१५३०] ता स-विसेसुल्लासिय-हरिसा सा कं-चि कालमइगमइ ।
जा ताव महीवइणो जाए पढमम्मि तणयम्मि ॥१८७॥ [१५३१] कलहट्ट-कए सयलाओ वि-हु तन्नयर-चारविलयाओ।
सद्दावियाओ नरवइ-पहाण-पुरिसे हिं निव-भवणे ॥१८८॥ [१५३२] ता पेच्छणयारंभे मिलिए सयलम्मि पुहइ-पवर-जणे।
रइसुंदरीए सुइराहिगयाए स-न-किरियाए ॥१८९॥ [१५३३] तह तह वियंभियं जह झडत्ति सयलो वि रंग-लोगो सो ।
जाओ लेप्पमओ इव पणासियासेस-वावारो ॥१९०॥ १५२१. २. गरुयासे.
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