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नेमिनाहचरिउ
[१४६२] निद्दड्ढो भय पक्खं सारसिमेगं पहीण - चेयन्नं ।
तह करुण - नयण - वेविर - गल-नालं दलिय - पक्ख-पुढं ॥११९॥
[१४६३] चंचु-कय-सलिल- पूरिय- तामर सिणि-पत्त- पुडयमग्ग-गयं । अवगणिय-जीवियन्वं सारसमेगं लिहावेइ ॥ १२० ॥
[१४६४ ] तस्स य चित्तस्स अहो गाह- चउक्कं इमं लिहावेइ | नीसेस - सेस धुत्त - सिरोमणी मूलए वो सो ॥१२१॥
जहा
[१४६५ ] हय - विहि- निओइ ओलूय- चंचु-संपुड - कर्यंत भवणाओ । कह-कह-वि छुट्टिणं पिया सगासम्मि आगमिरो ॥१२२॥
[ १४६२
[१४६६ ] इच्छामि मीलियच्छं स- किंटयं डझरं निउ पिये । आणिय-जलो वि तीए उवयारं काउमसमत्थो ॥ १२३ ॥
[ १४६७ ] तत्थेव दवे पडिउं लहुं मओ एस सारस -हयासो |
सा उण अ-मुणिय- पीडा न कुणेइ कई पि स - पियस्स ॥ १२४ ॥ [१४६८ ] तह वि-हु तमुज्झिऊणं जइ जलण - सिहे वलग्गइ महंगे
इय पसिऊणं मह विहि कहसु कहिं चिट्ठा पिया सा || १२५ ॥
[१४६९] इय चित्त-पडं काऊण करयले मूलव-धुत्तो सो । गहिलाण वेसमवलंविऊण कय- डिंभ-परिवेढो ।। १२६ ।।
[१४७०] जह तरुणीओ बहूओ ता मह किं निय-पियाए विरहेण । इय भणिरो पुणरुत्तं पुरीए परिभमिउमादत्तो ॥ १२७॥
[१४७१] अवर- दिणम्मि य गमिरो अग्गिम-मग्गेण डिंभ - परियरिओ । रहसुदंरीए दिट्ठो अह - नणु किमिमम्मि चित्त- पडे ॥ १२८ ॥
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