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________________ ३४२ नेमिनाearts [ १४२३ ] किंतु कुण तरुणित्थी - रूवं गेहे चूडियं हत्थे । atafat a frलुक्केऊणं चिट्ठेज्ज एगत्थ ॥ ८० ॥ [१४२४] इय कय- संकेओ सो तहेव काऊण समगमक्काए । करयल-जुयलुप्पा डिय - चूडियओ तप्पिहिय-वयणो ॥८१॥ [१४२५] मणिमय-उवरिम - कुट्टिम-तलम्मि रइसुंदरीए सुताए । सविम्मि गंतु संपिंडियंगुवंगो उवविसेइ ॥ ८२ ॥ [१४२६] तस्सुवरि निवेसिय-गुरु- चूडियगे झत्ति निवस अक्का | खण- मेतेण य सुत्त - विउद्धाए भणियमियरीए ||८३ ॥ [१४२७] नणु अंवो हि तुभे चिट्ठेह इह त्ति तयणु परमक्का | इयरियर- वयण - वित्थर - मज्झे रइसुंदरि खिविउं ॥ ८४ ॥ [१४२८] भगइ - नणु वच्छि वसुहा वलए सयले इसिज्जइ जणेण । को-वि भणइ - दढमेसा निय-चंगिम-गव्वमुच्चहइ ||८५|| [१४२९] अन्नयरो भणइ - इमा अणुयत्तेउं मुणेइ न छल्ले । तेणेव इमं वेडुयमवलंवेऊण चिट्ठेइ ||८६|| [१४३०] अवरो उ भणइ एसा विरसा निल्लक्खक्क - कुक्खी य । कमन्नह स घराजिर - ठिए चयइ मयण - वेसमणा ॥ ८७ ॥ [१४३१] इय बच्छ कहसु केण वि जेण निमित्तेण वहसि नियममिमं । जह अहमवि- अ-याणुय-जणाण त्रयणं अवगणेमि ॥ ८८ ॥ [१४३२] तयणु थुकिय-वयणा जंपइ रइसुंदरी भणउ लोगो । जं वा तं वा वो तुम्हं किमिमाए तत्तीए ॥८९॥ १४२९. ३ चेडूय'. Jain Education International 2010_05 [१४२३ For Private & Personal Use Only WW www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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