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________________ ३४१ १४२२] सत्तमभवि संखवुत्तंति रइसुदरीकहा [१४१३] पत्तो य मूलएवो निय-समए तयणु तं तह विहेउं । जा चलिओ निय-भवणाभिमुहं ता अक्क-चेडिहिं ॥७०॥ [१४१४] नणु हंत कत्थ वच्चसि पविसेउं पर-घरम्मि पइ-दियहं । इय भणिरी हिं धरि नीओ पुरओ स-अक्काए ॥७१॥ [१४१५] तीए वि उदार-रूवं तरुणं तं तारिस निरिक्खेउ । भणियं - नणु वच्छ कहं मह कुणसि तमेत्तियं भर्ति ॥७२॥ [१४१६] अहव किमन्नेणं तुह तुट्ट म्हि वरेसु इच्छिय-वरं ति । गरुयाण चलण-सेवा न निष्फला होइ कइया-वि ॥७३॥ [१४१७] अइ भणइ मूलएवो - तुमए तुहाए किन्न संपडइ । किं पुण मग्गिज्जइ ता जइ न कुणसि पत्थणा-भंगं ॥४॥ [१४१८] अह कुदृणीए भणियं - किह वच्छ पुणो पुणो पयंपेसि । तुरियं वरेसु इच्छियमहलं न हविस्सए नूणं ॥७५॥ [१४१९] ता मूलएव-धुत्तो महा-पसाउ.त्ति जंपिरो भणइ। नणु केण कारणेणं तरुणी रइसुंदरी पुरिसं ॥७६॥ [१४२०] एक्कसि सेविय-पुच्वं न सेवए पुण-वि सुरवइ-समं पि। एत्तिय-मेत्तं साहसु मह जइ सच्चं पसन्ना सि ॥७७॥ [१४२१] अह धुणिय-उत्तिमंगा पयंपए कुट्टणी जहा- वच्छ । रइसुंदरी न साहइ पुच्छिज्जती वि मह वि इमं ॥७८॥ [१४२२] अहवा जइ निव्वंधो तुह ता संचलसु जह तुह वि पयर्ड । पत्थुय-अस्थि रइसुंदरीए सविहम्मि पुच्छामि ॥७९॥ . ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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