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________________ ३४० [१४.३ . नेमिनाहचरिउ [१४०३] तरणिम्मि अणुदयंते गहिऊणं कुसुम-सलिल-छगणाई । गंतूण मयरदट्ठा-कुट्टणि-भवणम्मि अणु-दियहं ॥६॥ [१४०४] वियरेऊण च्छडयं गुंहलियं काउ सथिए दाउं । नव-नव-विच्छित्तिए कुसुम-प्पयरं च मोत्तूणं ॥६१॥ [१४०५] अवरं पि रेणु-कयवर-तणाइ नीसेसमवि अवहरेउं । कुदृणि-चेडीहि पि-हु अ-मुणिज्जतोऽणु-दियहं पि ॥६२॥ [१४०६] आगच्छइ निय-भवणे स धुत्त-चूडामणी अहऽन्न-दिणे । सा मयरदह अक्का पढमयरं उठ्ठिया संती ॥६३।। [१४०७] तह-रूवमसेसं पि-हु स-मंदिरं पेक्खिऊण स-वियकं । पुच्छइ चेडीओ जहा - कोऽणु-दिणं मह घरे एवं ॥६४॥ [१४०८] महिमं करेइ एरिसमह भणियं चेडियाए एगाए । सम्मं न मुणिज्जइ परमंवो इह अणुदिए सूरे ॥६५॥ [१४०९] परिमुंड-मुंड-तुंडो परिहिय-जर-चीवरो तुरिय-तुरियं । काऊण इमं वच्चइ पभाय-समए नरो एगो ॥६६॥ [१४१०] अह नूण इमो चोरो चारो पर-दारिओ व्ध को-वि नरो। किं-चि वि महेइ मह पुरओ त्ति मुणेऊण स-मईए ॥६॥ [१४११] आणत्ताओ चेडीओ जह - अहह अज्ज सव्व-जत्तेण । धरिऊण मह पुरो सो आणेयव्वो महा-पुरिसो ॥६८॥ [१४१२] अह वीय-दिणे रयणी-पच्छिम-पहरम्मि ताउ चेडीओ। जगंतीओ तप्पहमवलोएंतीओ चिट्ठति ॥६९॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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