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________________ ३३७ १३८२ ] सत्तमभवि. संखवुत्तंति रइसुंदरीकहा [१३७४] जह - अज्ज सामि तुमए निययावासम्मि चेव वसियव्वं । . मह सामिणी उ एक्कसि सेविय-पुव्वं न सेवेइ ॥३१॥ [१३७५] तयणु विसायावन्नो वेसमणो चिंतए - अहह विहलो। हूओ धण-व्वओ तह अ-ट्ठाण-परिस्समो मज्झ ॥३२॥ [१३७६] जाओ य एस सव्वो मह चेवाहाणगो जण-पसिद्धो । जह भक्खिओ य काओ अजरामरया य नो जाया ॥३३॥ [१३७७] परमिह धुत्तो सुत्तो घोरइ पुक्करइ नालियो मुट्ठो । इय होज्ज जं व तं वा किं एत्तो तीरए काउं ॥३४॥ [१३७८] इय चिंतिरो य गंतुं पुरओ मयरज्झयस्स बेसमणो । सयलं पि स-वृत्तंतं साहइ मउलिय-मुहंदुरुहो ॥३५॥ [१३७९] ता विसमसरो पभणइ - नणु भणियं चेव पुरोऽत्थि मए । जह सोहग्ग-गुणेणं जइ वंधिज्जति गणियाओ ॥३६॥ [१३८०] नणु जइ एवं ता तुह अवरो नत्थित्थ जीव-लोगम्मि । सोहग्गिय-सिरि-तिलओ इय तोलसु तं पि अप्पाणं ॥३७॥ सोर [१३८१] तत्तो - नणु जइ नेयं भुंजामि निरंतरं जहिच्छाए । तो निय-अभिहाणं पि-हु तुह पुरओ नूण न वहेमि ॥३८॥ [१३८२] इय चिहिय-गुरु-पइण्णो तग्गोयरमागओ कुसुमचावो । सल्लइ य स-रोसं निय-सरेहिं रइसुंदरि-सरीरं ॥३९॥ १३७७. ३. होउज्ज. ___Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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