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३३६ नेमिनाहचरिउ
[१३६४ [१३६४] कामो वि चलण-सोयं कुणंति वियरंति वायमवराओ ।
किं वहुणा तह विहिया पडिवत्ती तस्स ताहिं तया ॥२१॥
[१३६५] जह सो मुर-मंदिरमवि तिण-लव-तुल्लं गणेइ वेसमणो ।
अह कय-सिणाण-भोयण-विलेवण-प्पमुह-सामग्गी ॥२२॥
[१३६६] उवरिम-मणिमय-कुहिम-तलोवविद्याए असम-रूवाए ।
नीसास-वाय-बुभंत-परिहियासेस-वत्थाए ॥२३॥
[१३६७] जय-तरुणाणं मण-मोहणीए रइसुंदरीए सविहम्मि ।
संपत्तो पढमं पि-हु वियरिय-दस-लक्ख-आहरणो ॥२४॥
[१३६८] ता सविसेसं रइसुंदरीए स-विलास-हास-वयणेहिं ।
नह-दंत-छेय-परिरंभणेहिं रमियं समंतेण ॥२५॥
[१३६९] तह कह-वि जहा चउ-जामा वि निसा अइगया मुहुत्तं व ।
वेसमणोऽह विचिंतइ - नणु कि मह अमर-तरुणीहि ॥२६॥
[१३७०] किं वा तेणं सुर मंदिरेण जइ हवइ निच्चमवि एसा ।
कप्पडुम-छायाए निवसेउ मरुम्मि को रमइ ॥२७॥
[१३७१] निवसइ सज्जणु जत्थ वणि तं रण्णु वि सुर-गेहु ।
हियडा ता दोहि वि करिहिं ठावडुलउं इहु लेहु ॥२८॥
[१३७२] इय तत्थ कय-थिरासो वेसमणो उग्गयम्मि दिण-इंदे ।
तरुणि अणुजाणाविय घराओ नीहरइ कज्ज-वसा ॥२९॥
ताण
[१३७३] अणुमग्गेण य निय-सामिणीए वयणेण चेडिया एगा ।
स-विणयमुल्लवइ पुरो गंतु वेसमण-जक्खस्स ॥३०॥
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