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नेमिनाहचरिउ (६) [१३४४] एत्तो उ पच्छिम-दिणे जिण-समय-विसारएण एगेण ।
सु-स्सावगेण कहिया महासि (?) रइसुंदरीए कहा ॥१॥ [१३४५] सा उण इम त्ति अबहिय-हियया होउं सुणेह मह पसिउं ।
नणु कहसु कहसु इय भणिरम्मि कुमारे वयइ इयरो ॥२॥
तहा हि[१३४६] उज्जेणीए पुरोए अहेसि गिरि-मेहल ब वहु-कूडा ।
वहु-लोहा य तुला इव परमक्का मयरट्ट त्ति ॥३॥
[१३४७] तए य जय-नियंविणि-समहिय-लायण्ण-रूव-सिंगारा ।
रइसुंदरि त्ति अभिहाण-विस्सुया आसि दुहिय त्ति ॥४॥
[१३४८] सा उण करिवर-मुल्लं विणा न गेण्हेइ पुरिस-गरहणयं ।
वीय-दिणम्मि य सेवइ न मयण-सरिसं पि तं पि नरं ॥५॥
[१३४९] निय-चंगिम-गव्वेण य लीहं पि न देइ इयर-गणियाणं ।
एवं च तीए वहतीए वच्चंति दियहाई ॥६॥
[१३५०] अन्न-दिणे वेसमणो मयणो य दुवे वि नंदण-वणम्मि ।
गंतूण कयाणंदा बहुहा कीलेउमाढत्ता ॥७॥ [१३५१] एत्तो य तेसि पुरओ भणियं एगेण सुर-विसेसेण ।
नणु रइसुंदरिमुज्झिय किमियर-कीलाहिं तुम्हाण ॥८॥
[१३५२] किं तु न सा निय-महिमा-अवहत्थिय-तियस-तरुणि-मुंदेरा ।
तियसाहिवं पि सेविय-पुव्वं सेवेइ वीय-दिणे ॥९॥
[१३५३] करिवर-मुल्लं च विणा गरहणयस्स वि न ओड्डए हत्थं ।
चिट्ठइ य इमा उज्जेणीए नयरीए वर-गणिया ॥१०॥
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