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नेमिनाहचरिउ
[१२४९] गंतु सिरि-विमलवोहह मुर्णिदह पुरो। थुणिवि पय-पउम तमु हरिस-भर-वंधुरो ॥ उचिय-ठाणम्मि निवसेइ वसुहाहिवो । तयणु मुणि-नाहु सिव-सुक्ख-फल-पायवो ॥२॥
[१२५०] भणइ - नणु जम्म-जर-मरण-जल-संकुलो । जंतु अ-थिर-मण-गंभीरिमा-आउलो ॥ कोह-मय-माय-पायाल-जय-भीसणो । मोह-आवत्त-दुल्लंघया-दूसणो ॥३॥
[१२५१] राय-दोसुल्लसिय पंवण-विक्खोहिओ । विविह-दुह-दुह-जल-जीव-संवाहिओ । विरह-संजोग-कल्लोल-भर-भंगुरो । गरुय-पसरिय मणोहर-पवाहुद्धरो ॥४॥
[१२५२] एह अइ-भीम भव-जलहि भो भद्दया । इय तहा जयह जह हवइ निविग्घया ।। निम्मल-ण्णाण-वर-कण्णधाराणुगे । वारस-वियप्प-तव-पवर-निज्जामगं ॥५॥
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