SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 320
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०७ ३०७ १२२४] पंचमभवि अवराइयवुत्तंतु [१२२१] सुयण-विवुहहं करिवि पडिवत्ति सम्माणु साहम्मियहं मणि धरेवि उत्तिमहं नायई । परिसीलइ एग-मणु निच्च-कालु जिण-धम्म-कम्मई॥ एग-दिणं पिव अइगमइ वहुयई वरिस-सयाई । दोगुंदुग-तियसु व्व उवभुंजिरु परम-सुहाई ॥ [१२२२] अवर-अवसरि निसिहि सिविणम्मि सुह-सयणिज्नम्मि गय नियइ पीइमइ मुह-पसुत्तिय । अंक-ट्ठिय-रयण-निहि पंच वन्न-मणि-पह-विचित्तिय ।। अह उद्वेविणु पीइमइ सिर-विरइय-कर-कोसु । सिरि-अवराजिय-नरवइहि साहइ सिविणु स-तोसु ॥ [१२२३] ता नरिंदिण भणिउ - नणु अम्ह कुल-कप्प-पायव-सरिसु · तुज्झ देवि हविहइ तणूरुहु । तयणंतर पीइमइ तुट्ट भणइ जह -- होउ पहु इहु ॥ अह धम्मह धम्मियहं कह- जोगिण रयणि गमिति । जा ता गोस-समागमणि मागह-निवह पहंति ॥ [१२२४] - देव चिर-कय-सुकय-जोगेण पसरंत-तेयब्भहिउ निहय-सयल-पडिवक्ख-वित्थरु । उदयायल-सिहर-ठिउ नं जयस्सु साहेइ दिणयरु ॥ हवइ उवरि उदयह उदउ गरुय-मुकय-वीयाहं । उज्जमवंतहं सु-पुरिसहं उत्तिम-मग्ग-ठियाहं ॥ १२२१. ६. क. हवर. - ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy